Monday, June 2, 2014



एक लड़की थी   
खवाब में डूबी
एक ही ख्वाब
कई बार
बार बार देखती  
ख्वाब देखती हुई उसकी आँखें
जैसे आकंठ प्रेम में डूबी छलछलाती
दुनिया की सबसे संतृप्त  आँखे   
और एक दिन  यूँ हुआ
कि उसने जाकर उन ख़्वाबों को छू लिया ...


( ख्वाब देखने और खवाब को हाथ लगा आने में कितना फ़र्क है .... मन की छोटी छोटी जाने कितनी अक्षुण्ण चाहतों का इंसान को ख़ुद ही पता नहीं होता  ....
यूँ तो चाहतें पूरी हो तो सुकून मिलना चाहिए  ना ?  ....   लेकिन  ...