तुम्हें हक़ है
कि तुम दिल दुखाओ
और दुखाओ
आज तुम न मानना
तब तक
जब तक तुम्हें मनाते-मनाते
मैं न उदास हो जाऊं
रुलाई न फूट पड़े मेरी
उफ्फ् ये नाउम्मीदी
खुद पे इतना भी ऐतबार नहीं
कि कह सकूं कि
अब गलती नहीं होगी
चलो यूँ मान लो
कि अब बहुत दिनों बाद होगी
जैसे आश्विन के बाद आता है सावन
कि तुम दिल दुखाओ
और दुखाओ
आज तुम न मानना
तब तक
जब तक तुम्हें मनाते-मनाते
मैं न उदास हो जाऊं
रुलाई न फूट पड़े मेरी
उफ्फ् ये नाउम्मीदी
खुद पे इतना भी ऐतबार नहीं
कि कह सकूं कि
अब गलती नहीं होगी
चलो यूँ मान लो
कि अब बहुत दिनों बाद होगी
जैसे आश्विन के बाद आता है सावन