एक लड़की थी
खवाब में डूबी
एक ही ख्वाब
कई बार
बार बार देखती
ख्वाब देखती हुई उसकी आँखें
जैसे आकंठ प्रेम में डूबी छलछलाती
दुनिया की सबसे संतृप्त आँखे
और एक दिन यूँ हुआ
कि उसने जाकर उन ख़्वाबों को छू लिया ...
( ख्वाब देखने और खवाब को हाथ लगा आने
में कितना फ़र्क है .... मन की छोटी छोटी जाने कितनी अक्षुण्ण चाहतों का इंसान को
ख़ुद ही पता नहीं होता ....
यूँ तो चाहतें पूरी हो तो सुकून मिलना
चाहिए ना ? .... लेकिन
...