Friday, August 17, 2012

एक सवाल ऐसा भी -----------------------

आज फिर भीगा है मन
स्नेह से तरबतर हैं
सजल नयन
सोचकर हैरान हूँ
कैसा था वो पल निर्मल
आँखों में वो तड़प
हो रहा तन मन विकल
मीलों लम्बी थी गहराती
रात आधी
अन्धकार था ज़्यादा घना या
ख़ामोशी  इसकी
दूर आसमाँ पर था चमकता
एक बुज़ुर्ग  सितारा
पिता के बारहा ज़िक्र पर
पनीली आँखों से तड़प कर
झिझकते संकोच से लरज़ते
स्वर में पूछा  था  ये सवाल
'' क्या हम , अपना रिश्ता बदल सकते हैं  ???''

4 comments:

  1. "दूर आसमाँ पर था चमकता
    एक बुज़ुर्ग सितारा
    पिता के बारहा ज़िक्र पर
    पनीली आँखों से तड़प कर
    झिझकते संकोच से लरज़ते
    स्वर में पूछा था ये सवाल
    '' क्या हम , अपना रिश्ता बदल सकते हैं ???''"
    कितना मासूम और प्यारा सवाल है ! बहुत सुंदर लिखा है अनि....:) <3

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  2. कविता तो बनी है...
    कविता की भाषा भी यही...
    शब्दों का चयन और अभिव्यक्ति काव्यमय ...
    प्रकृति का व्याप भी है यहाँ
    और स्वयं के निजी भावों की तरलता भी ...
    रिश्ता बदल कर कौन से
    अन्य नए रिश्ते का नामकरण हो,
    वह अस्पष्ट ...

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  3. Ya fir in dunyavi rishton se pare ka koi rishta...

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  4. A deeprooted intense feeling.Beyond words.Touching at the core of heart.

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