हसरत तुम्हें जी भर देख पाने की
पूरी न हो जाए कभी कि फिर
दिल न तरसे तुम्हारी एक झलक को
तुम्हें छूने की चाह रह जाए अधूरी ही कि
छूकर भी तुम्हें छूने की चाहत की
शिद्दत कम न हो कभी
मिलन का छोटा सा वो पल ही भरपूर है
मन की ये अतृप्ति यूँ तृप्त न हो जाये कहीं
पूरी न हो जाए कभी कि फिर
दिल न तरसे तुम्हारी एक झलक को
तुम्हें छूने की चाह रह जाए अधूरी ही कि
छूकर भी तुम्हें छूने की चाहत की
शिद्दत कम न हो कभी
मिलन का छोटा सा वो पल ही भरपूर है
मन की ये अतृप्ति यूँ तृप्त न हो जाये कहीं
कि फिर कोई प्यास ही न रहे बाकी
आत्मा के तल पर तुम्हे महसूस करते
रोम रोम भीग कर पिघलता चला जाये
तुम्हें टूटकर चाहने के लिए
कितना तो ज़रूरी है अधूरी इच्छाओं का पूरा न हो सकना
आत्मा के तल पर तुम्हे महसूस करते
रोम रोम भीग कर पिघलता चला जाये
तुम्हें टूटकर चाहने के लिए
कितना तो ज़रूरी है अधूरी इच्छाओं का पूरा न हो सकना
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