Friday, September 21, 2012

शुक्रिया !....दोस्त....!

 शुक्रिया !....के तुम मेरे दोस्त हो !

इस दुनिया में जो किसी से न कहा जा सके वो तुम से कहा जा सकता है
तुमसे कुछ कहना जैसे ख़ुद से ही बातें करना है
तुम दिल में रहते हो इसीलिए दिल की बातें पहले ही जान लेते हो
सुकून के दो पलों को इसी एक रिश्ते की दरकार है
ममता का आँचल हो या परवरिश का साया
बचपन की शरारत हो या सहारा देते कंधे सहलाते हाथ
ज़मीं से लेकर आसमान तक रिश्तों की कड़ी में
हर रिश्ता अंततः चाहत रखता

है दोस्ती की
जी चाहता है सारी दुनिया को बता दूं कि तुम मेरे दोस्त हो
दोस्ती का हनीमून पीरियड जो चल रहा है...और यूँ भी
मित्रता में होना भी, प्रेम में होना ही तो है !

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