इत्ते दिनों
इत्ता तरसाया
मेहरबाँ हुए भी
तो आधी रात को
आए..बरसे और चले भी गए
हम नींद की आगोश में रहे
अब..जब आँख खुली है तो
बालों को प्यार से सहलाती
मुलायम हवा है और
चेहरे को चूमती नन्हीं बूँदें
भीगी सुन्दर शुभ सुबह मुबारक...
(* हमारी तरफ रात में बरसे हैं बादल )
इत्ता तरसाया
मेहरबाँ हुए भी
तो आधी रात को
आए..बरसे और चले भी गए
हम नींद की आगोश में रहे
अब..जब आँख खुली है तो
बालों को प्यार से सहलाती
मुलायम हवा है और
चेहरे को चूमती नन्हीं बूँदें
भीगी सुन्दर शुभ सुबह मुबारक...
(* हमारी तरफ रात में बरसे हैं बादल )
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