Monday, June 10, 2013

इत्ते दिनों
इत्ता तरसाया
मेहरबाँ हुए भी
तो आधी रात को
आए..बरसे और चले भी गए
हम नींद की आगोश में रहे
अब..जब आँख खुली है तो
बालों को प्यार से सहलाती
मुलायम हवा है और
चेहरे को चूमती नन्हीं बूँदें

भीगी सुन्दर शुभ सुबह मुबारक...

(* हमारी तरफ रात में बरसे हैं बादल )

No comments:

Post a Comment