उसने कहा
सुनो
अहद निभाने की ख़ातिर मत आना
अहद निभाने वाले अक्सर मजबूरी की थकन से लौटा करते हैं
तुम जाओ
और दरिया-दरिया प्यास बुझाओ
जिन आँखों में डुबो
जिस दिल में भी उतरो
मेरी तलब आवाज़ न देगी
लेकिन जब मेरी चाहत
और मेरी ख्वाहिश की लौ
इतनी तेज़ और इतनी ऊंची हो जाए
जब दिल रो दे
तब लौट आना
- अनिता सिंह
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