Tuesday, June 19, 2012


...आदित्य ने माँ के पाँव छुए. चिढ़ाते हुए मैंने कहा मेरे पाँव भी छुओ 'आदि ',पूरे दो महीने बड़ी हूँ तुमसे...''आइये छू लूँ'' कह कर वो झुका. ''आप तो यूँ कह रही हैं जैसे मैंने कभी आपके पाँव छुए ही न हों'' कहते हुए बड़ी अजीब नज़रों से मुझे देखा उसने. ''देखो झूठ मत बोलो तुमने कब पैर छुए हैं मेरे'' मैंने कहा. ''आपको कुछ भी याद नहीं है न ?'' बेहद उदास स्वर में पूछा उसने. और फिर आंटी की आवाज़ आई ''जल्दी करो आदि, अब चलना चाहिए वरना घर पहुँचने में रात हो जाएगी '' और सबने हवा में हाथ लहराते विदा ली. सालों बाद यूँ सबसे मुलाक़ात चाहे कम वक़्त के लिए ही सही बड़ी आनंददायी रही.लेकिन वो इक बात जो जाते जाते उसने कही..और उसका उदास चेहरा ज़ेहन में रह रह के आ रहा था. मैं सोच में पड़ गई की क्यूँ कहा उसने ऐसा ?...

* लिखी जा रही कहानी का अंश...


- अनिता सिंह

1 comment:

  1. Anita ji, Shuruwat bahut achhi hai. Is kahani ko jald se jald post karen. Badhayi.

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