बेक़रार रातों का साथी है वो,
राज़दार है दिल के अरमानों का,
ये चाँद नहीं है, फ़रिश्ता है कोई,
गवाह है जो सदियों से,
उल्फ़त के फ़सानों का,
वो दोस्त है...हमदर्द है...दिलनवाज़ है वो,
वो हमसाया है...हमसफ़र है...हमराज़ है वो ''
( इक पुरानी पोस्ट )
राज़दार है दिल के अरमानों का,
ये चाँद नहीं है, फ़रिश्ता है कोई,
गवाह है जो सदियों से,
उल्फ़त के फ़सानों का,
वो दोस्त है...हमदर्द है...दिलनवाज़ है वो,
वो हमसाया है...हमसफ़र है...हमराज़ है वो ''
( इक पुरानी पोस्ट )
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