Tuesday, May 21, 2013

- आज भी रखे हैं पछतावे की आलमारी में....इक दो वादे जो दोनों से निबाहे न गए.....

- तुझे औरों की भी ज़रुरत है.....मुझे एहसास क्यूँ नहीं होता....

चले आओ कि फिर से अजनबी होकर मिलें ,
तुम मेरा नाम पूछो , मैं तुम्हारा हाल पूछूं !:)


- यूँ तंग ना किया करो
यह सब कहने के लिए है
जानते हो तुम भी
जानती हूँ मैं भी..

भला तुमसे तंग हुई हूँ मैं कभी..?

साँसें बस में नहीं रहीं
तो बस
यूं ही कह दिया..!!



'' नींदों के एहसान उठाए ,
फिर भी तेरे ख़्वाब न आए ''




' दर्द के मुरीद थे हम....मुहब्बत न करते तो क्या करते...'

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