Tuesday, May 21, 2013

कितनी दफ़े हुआ ऐसा कि तुम नहीं मिले काफी दिनों तक ....हम यादों को हाथ पकड़ कर बुला लाते पास अपने ...मन पूछा करता मिलोगे तो क्या क्या बताएँगे तुम्हें ...?
याद है हमें ....तुम भीगे मन से किस तरह सुना करते थे बातें मन की ...जो रो रो कर हम सुनाया करते ...
अबकी मिलोगे तो ....तो कोई ऐसी बात सुनाएंगे जिसे सुनकर तुम मुस्कुराओ ....और बस मुस्कुराते जाओ ...और हम यूँ ही निहारते हुए तुम्हें..............................................................हह..


( * लिखी जा रही कहानी का अंश )

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