Tuesday, May 21, 2013

- आओ कभी यूँ भी मेरे पास के.....आने में लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाए.....

- ऐसे मौसम में यूँ जुदा रहना........कुफ़्र है और कुछ नहीं साहिब !

( हमारी तरफ बिन मौसम बादलों ने मौसम ख़ुशगवार कर दिया है...:))


लफ़्ज़ों का ताना-बाना बुनने वाला जुलाहा सारी उम्र ख़्वाब बुनता रहा...और खुद किसी का ख़्वाब न बना...

-अमृता प्रीतम ....साहिर के लिए-


- अच्छे लोगों को तो सभी पसंद करते हैं....है कोई तलब'गार के बहुत बुरे हैं हम....

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