Wednesday, November 21, 2012

एक लघु-कथा पोस्ट की थी हमने '' अनन्या '' उसे एक लोक कथा में तब्दील कर दिया...एक नज़र देखें प्लीज़.... लघु लोक कथा



बहुत पुरानी कहानी है, दूर किसी देश में एक राजकुमारी रहती थी। करुणा और प्रेम से भरा बेहद खूबसूरत हृदय था जिसका , उसे लगता सौन्दर्य में ईश्वर का वास है। उसे सिर्फ प्रेम से ही प्रेम था।राजकुमारी यूँ तो धरती पर रहती थी लेकिन हक़ीक़त की पथरीली दुनिया के सापेक्ष उसकी अपनी कल्प

ना की एक बेहद खूबसूरत ,रंगीन सपनीली दुनिया थी। चाँद तारों की दुनिया चाँद तारों के सपने...जहाँ सब कुछ बहुत सुन्दर बहुत अच्छा था।उस पथरीली दुनिया से उसे बहुत डर लगता।इस दुनिया का बड़ा खौफ था उसके मन में।
हक़ीक़त की दुनियां से टकराकर जब भी उसके ख्वाब तार तार हो जाया करते, वो बदहवास तेज़ क़दमों से भागती अपनी सपनीली ख्वाबों ख्यालों की दुनिया में शामिल हो जाती। और सुकून की सांस लेती।बेशक वो हक़ीक़त की दुनिया से डरती लेकिन वो दुनिया हमेशा से ही उसके लिए कौतूहल का विषय भी थी। वो देखती कभी-कभी कुछ लोग उस पथरीली दुनिया से उसे देखकर मुस्कुराते हैं , हाथ हिलाते हैं । उसका दिल करता कि वो लोग कभी मेहमान बनकर उसकी चाँद तारों की दुनिया में आएं।
आज हक़ीक़त की दुनिया से एक राजकुमार उसकी सपनीली दुनिया में दाखिल हुआ। राजकुमारी बेहद खुश हुई और बड़ी आत्मीयता से उसे अपनी दुनिया में शामिल कर लिया। राजकुमारी के पाँव ज़मीन पर नहीं थे,वो बेहद खुश थी।धीरे-धीरे राजकुमारी राजकुमार के प्रेम में डूबती चली गयी।
और फिर कुछ ही समय बाद यथार्थ और कल्पना की टकराहट से राजकुमारी की तंद्रा टूटी।राजकुमारी चाहती कि राजकुमार उसे यूँ गले लगा ले कि फिर किसी जनम में वो अलग न हो सकें, यूँ ही गले से लगे हुए ज़िन्दगी ख़त्म हो जाए। इस नज़दीकी से राजकुमार का दम घुटने लगता। वो खुली हवा में सांस लेना चाहता। अब इस मुश्किल का कोई हल नहीं था, क्यूँकर होता भला ...होता ही नहीं है। राजकुमारी ने पाया कि दोनों के बीच घटती दूरियों ने चीज़ों को खूबसूरत नहीं रहने दिया है, क्यूंकि हर चीज़ एक निश्चित दूरी से अच्छी लगती है और मुश्किल ये है कि ये दूरी, ये हदें सबकी अलग-अलग हैं। इन हदों की टकराहट में चीज़ों का सौन्दर्य खोने लगता है। यहाँ भी यही हुआ , प्रेम की तीव्रता ,उसके आवेग के अंतर ने दोनों को तोड़ के रख दिया। और इससे भी बड़ी मुश्किल ये कि इस सपनीली दुनियां में, किसी की आमद जितनी आसान है वापसी उतनी ही मुश्किल ...बल्कि असंभव। आते हुए पांवों के निशाँ पकड़कर कोई वापस जा नहीं सकता।
इधर सुनते हैं कि ...इक राह जो थमी थी ....आज फिर दिखती है राजकुमारी की आँखों में ...झिलमिला आए मोती के पीछे।

No comments:

Post a Comment