Tuesday, November 6, 2012

अहाssssssss टुकुस - टुकुस :)))))))) हाँ!:) वाकई अच्छा लगता है जब मिले कुछ अनेस्पेक्टेड....:)))

आज सुबह की एक छोटी सी घटना जो दिल को छू गयी.....सोचा आपके साथ भी शेयर कर लें....

जो काम हम करते हैं आकाशवाणी में, उसके ड्यूटी आवर्स बड़े ऑड हैं। शिफ्ट ड्यूटी हुआ करती है। कभी सुबह पांच बजे जाना होता है, कभी रात ग्यारह साढ़े ग्यारह लौटना होता है। और अक्सर आते जाते समय कॉलोनी के गार्ड को ज़हमत देनी होती है गेट खोलने के लिए। यूँ तो ये उसका काम ही है लेकिन बहुत बुरा लगता है, जब कई बार सुबह वो नींद

में आँखें मलते हुए लगभग कांपते हुए गेट खोलता है। ख़ास तौर से ठण्ड और बारिश के मौसम में। इसलिए अक्सर सुबह हम गाड़ी से उतर कर ख़ुद ही गेट खोल लिया करते हैं। जब कभी बहुत देर हो रही होती है तो मजबूरन हॉर्न बजाना पड़ता है। एक दिन बहुत हड़बड़ी में थे, दूर ही से हॉर्न भी बजाया लेकिन वो शायद गहरी नींद में था, जाग नही पाया। हमने देखा मिसेस साहू मॉर्निंग वॉक पर निकली हुई हैं, और गेट के क़रीब ही हैं। उन्होंने मुड़ कर देखा भी था। यूँ नहीं था मन में हमारे कि वो हमारे लिए गेट खोलें, और उन्होंने धीरे से एक गेट ज़रा सा खोला और बाहर निकल गयीं और जाते हुए गेट वापस बंद भी कर दिया। हम गाड़ी से उतरे, हमने भी गेट खोला और ज़रा सी स्पीड बढ़ाई कार की और दौड़ते हांफते पहुंचे ऑफिस। आज भी ऐसा ही एक दिन था जब सुबह सुबह देर हो गयी थी। हम कॉलोनी के गेट तक पहुंचे ही थे कि देखा गाड़ी की लाईट देखकर गेट के बाहर एक छोटी बच्ची ने दौड़कर गेट खोलना शुरू किया। गेट थोड़ा भारी है बच्ची बड़ी ज़ोरों से हंसती हुई उसे पूरी ताक़त से उसे धकेल रही थी। तब तक हम भी उतर गए गाड़ी से और हमने दूसरा गेट खोला। बच्ची बहुत खुश थी मुस्कुराकर हमें देख रही थी। और तभी बाहर नज़र गयी बहुत से बच्चे थे, और पीछे कुछ बड़े लोग भी दिखे। ये शायद आसपास के गाँव से आये लोगों का झुण्ड था संभवतः राज्योत्सव देखने आए होंगे।
हमने बच्ची के सर पर प्यार से हाथ फेरा और हमारे मुंह से निकला थैंक यू सो मच...हमारा थैंक्स कहना था और सारे बच्चे एक सुर में चिल्लाए '' यू आर वेलकम मैम '', बच्चों की खिलखिलाती आवाज़ सारी फिज़ा में तैर गयी। ज़रूर स्कूल में टीचर ने सिखाया होगा। ग्रामीण बच्चों का पढ़ना , कुछ सीखकर उसे समय पर इस्तेमाल करना और इन सब से बढ़कर वो '' प्योर इनोसेंस '' जो उनके चेहरों पे होता है उसकी तो बात ही अलग है। हमारे चेहरे पर भी मुस्कान तैर गयी थी। दिल से दुआ उन बच्चों के लिए कि उनके सपने बड़े हों, और सारे सपने पूरे हों।
आज सारा दिन उन बच्चों की रह रह कर याद आती रही।
और निदा फ़ाज़ली भी याद आते रहे -

फ़रिश्ते निकले हैं रौशनी के
हरेक रस्ता चमक रहा है
ये वक़्त वो है
ज़मीं का हर ज़र्रा
माँ के दिल सा धड़क रहा है
हुआ सवेरा
ज़मीन पर फिर अदब से आकाश
अपने सर को झुका रहा है
कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं....

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