बारहा सुनकर भी थकती नहीं मैं
कहानी अपने बचपन की
ढूंढती हूँ पर मिलता ही नहीं
वो चांदी का झुनझुना...
जाने कौन चुरा ले गया
वही बला ले गई हो शायद
जिससे बचाने की ख़ातिर
सिरहाने रख दिया गया था एक हथियार...
( नींद की आगोश में जाने से ठीक पहले... )
कहानी अपने बचपन की
ढूंढती हूँ पर मिलता ही नहीं
वो चांदी का झुनझुना...
जाने कौन चुरा ले गया
वही बला ले गई हो शायद
जिससे बचाने की ख़ातिर
सिरहाने रख दिया गया था एक हथियार...
( नींद की आगोश में जाने से ठीक पहले... )
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